Wednesday, October 10, 2018

गुजरात में हुई हिंसा और पलायन पर वहां के बिहारी क्या सोचते हैं?

गुजरात के साबरकांठा ज़िले के हिम्मतनगर में कथित रूप से हुए बलात्कार के बाद यहां से बिहार-यूपी के लोगों का पलायन जारी है.
इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. गुजरात में रहने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले हो रहे हैं.
इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से बात की और घटना पर चिंता व्यक्त की है.
राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस मुद्दे पर कहा है कि जो भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
28 सितंबर को हिम्मतनगर के एक गांव में 14 साल की एक बच्ची का कथित रूप से बलात्कार किया गया था. मामले में बिहार के रहने वाले एक शख़्स को गिरफ्तार किया गया था.
यूपी-बिहार के लोगों पर हमला करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस की कार्रवाई में कम से कम 361 लोग गिरफ़्तार किए गए हैं.
साबरकांठा ज़िले के अलावा गुजरात के कई शहरों में दहशत का माहौल है.
इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक हरि देसाई कहते हैं, "मैं स्पष्ट तरीके से ये मानता हूं कि यह पूरा मुद्दा राजनीतिक है. इस मुद्दे में राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि वो राज्य में कानून-व्यवस्था कायम रखे."
वो कहते हैं कि जिस सरकार को ये लगता है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर लोगों को भड़का रही है तो वो इसे रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रही है.
हरि देसाई कहते हैं कि गुजरात ने कभी भी, किसी भी दूसरे राज्य के लोगों को अलग नहीं माना है. चुनाव आ रहे हैं और मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है.
गुजरात के विभिन्न शहरों में बसे उत्तर भारतीय अलग-अलग सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के साथ जुड़े हैं.
हिंदी विकास मंच एक ऐसी ही संस्था है. मंच के संस्थापक जीतेंद्र राय गुजरात में दशकों से रह रहे हैं. उनका कहना है कि ये मुद्दा अब राजनीतिक हो चला है जिसके निशाने पर उत्तर भारतीय हैं.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "देश के हिंदी भाषी राज्यों में चुनाव होने हैं और इन हमलों से शायद ये संदेश देने की कोशिश हो रही है कि गुजरात में हिंदी भाषी सुरक्षित नहीं हैं."
"गुजरात में दूसरे राज्यों के लोगों के साथ ग़लत व्यवहार कभी भी नहीं हुआ है. मुझे नहीं लगता कि इस मुद्दे को लेकर कोई भी इंसान ज़्यादा समय तक राजनीति कर पाएगा."
वो कहते हैं कि हर समाज में असामाजिक तत्व होते हैं. एक व्यक्ति के कारण पूरे समाज को दंडित करना न्यायोचित नहीं है.
हम सालों से गुजरात में रह रहे हैं पर इस तरह का माहौल हमने कभी नहीं देखा. अफवाहों के कारण लोगों में डर का माहौल है.
दूसरे राज्य से आए लोगों पर हमले हुए हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है, लेकिन उससे ख़राब परिस्थिति ये है कि वो अफवाहों के कारण घर वापस लौट रहे हैं.